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Showing posts from August, 2020

रुख ज़िन्दगी का...

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लोग समझने वाले हो तो समझ जाते है  लोग निभाने वाले हो तो निभा जाते है  जरुरी तो नहीं सब लोग एक जैसे ही हो...  जरुरी तो नहीं सब लोग एक जैसे ही हो...  कुछ लोग ऐसे भी होते है.... जो दूसरों पर खुद को मिटा दिया करते है ..... उन लोगों को समझना आसान नहीं होता जो दिल मे दर्द और होंठो पर मुस्कान लिए फिरते है  कुछ दुनिया मे ऐसे भी लोग होते है  जो चेहरे पर मासुमियत और दिल मे चोर लिए फिरते है  ऐसे ही कुछ लोगों से धोखा खाकर ..... शायद....  कुछ लोग ये जहाँ छोड़ दिया करते है  BT:-MOHIT K SINGH

खुदा की मेहरबानी

  के तन्हाई मे बैठकर मैं रोया भी बहुत हूँ..  और रोशनी मे मुस्कुराया भी बहुत हूँ  के तन्हाई मे बैठकर मैं रोया भी बहुत हूँ..  और रोशनी मे मुस्कुराया भी बहुत हूँ  लोग तो आज दूसरों की बेवफ़ाई से परेशान है..... और एक मैं हूँ जो खुद-ही-खुद को चोट लगाकर बैठा हूँ..  माना अब तन्हाई ही बची है मेरी ज़िन्दगी मे ... माना अब तन्हाई ही बची है मेरी ज़िन्दगी मे ... लेकिन उसे पाने की एक आस तो बाकी है.... माना उसे खो चुका हूँ मैं..... पर उसे पाने की एक चाह तो बाकी है....  इसे में कैसे खोदू ...जो मेरे जीने  की एक आखरी सीडी बाकी है ...... दिल करता है उसे ये जान भी देदू......फ़िर सोचता हूँ..  क्या ये ख्वाहिश भी उसी खुदा की मेहरबानी है...... BY:-MOHIT K SINGH

लिखना ही है काम मेरा

पहले भी में लिखता था  आज भी में लिखता हूँ  लिखना ही है काम मेरा.... लिखकर ही में सीखता हूँ.... जो भी हो बात.... लिखकर ही वयाँ में करता हूँ  में कोई शायर नहीं....बस अपनी बातों को धुन बना लेता हूँ सीखना है काम मेरा.... लिखकर ही में सीखता हूँ  मुझसे नहीं होते ये दिखावे वाले चोचले...  जो भी थे  बिचार मेरे.. मैने सबके सामने खोल दिये.... लोग कहते है हम राज़दार है  और एक हम है जो खुली किताब बनके बैठे है  कुछ लोग.. लोगों को समझ नहीं पाते...  खुद गलत होते है और दुनिया को गलत ठहराते है  लोगों का कुछ कहना जरुरी नहीं...पर सही कहना जरुरी है  दुनिया को सही करने से पहले...खुद को सही करना जरुरी है  में सही नहीं हूँ पुरी तरह..... इसलिए में लिखता हूँ  और लिखकर ही में सीखता हूँ...... लिखना मेरी आदत है....कभी-कभी मुझसे गलतियाँ भी होती है  और उन्ही गलतियों से में सीखता हूँ  लिखना ही है काम मेरा.... लिखकर ही में सीखता हूँ.... BY:-MOHIT K SINGH

किताब की सीख

पहले किताब और नोटबुक होती थी  आज सुबह सबसे पहले फ़ेस्बुक पर स्तेटस हमारा है .... पहले लोग घर छोड़कर काम पर जाया करते थे  आज घर पर काम सारा है ...  पहले लोग आपस मे इज्जत कमाते थे.... आज पैसे का बोलबाला है...  पहले लोगों के दिलो मे इंसानियत  थी  और आज लोग  जानवर ज्यादा.. इंसान कम  है  पहले लोग बुरायाँ खोजा करते थे  आज अच्छाइ की तलाश जारी है  पहले दूर होकर लोग पास होते थे  आज पास रहकर भी दूरियाँ बाकी है पहले दुनिया बड़ी थी  पर आज बहुत छोटी नज़र सी आती है  लोग पहले गरीब जरुर थे लेकिन दिल से अमीर होते थे  आज ना जाने वो वक़्त कहा गुम सा हो गया है  भाई भाई से...दोस्त दोस्त से दूर हो गया है  आज लोगों की औकात .....देखकर ही पता चल जाती है  फिर भी पता नहीं लोगों को किस चीज क घमंड है  आज पता नहीं क्यो.... लोगों को घमंड है  जबकि उन सबकी ज़िन्दगी तो आज एक छोटे से फोन मे बन्द है  BY:-MOHIT K SINGH

दीवाने कुछ ऐसे होते है

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तुझसे मैं प्यार करता हूँ...  तुझसे इसका एज़्हार करता हूँ....  तू इसको समझती नहीं है...  तू इससे इंकार करती है....  मैं फिर भी तेरा हर पल इन्तेज़ार करता हूँ.. .. तू तो मेरा ऐतबार भी नहीं करती.... कहते है प्यार ही खुदा है.....  तू तो इस खुदा को भी ठुकरा देती है...  रूह मेरी.... तेरी दिवानी है.. . दिल-जान भी देदू तुझे.. पर..न ठुकरा मुझको तू.... ये पागल तेरे एक इसारे पर हर एक सांस देदेगा.... हर एक सांस पर नाम ये तेरा आशिक़ लिखदेगा....  हर पल इस जीवन का... तेरे साथ ही गुजारुगा ये मानले तू.... कहते है प्यार ही खुदा है.....पर मेरा खुदा है तू... ये जानले तू....  तुझसे मैं प्यार करता हूँ...  तुझसे इसका एज़्हार करता हूँ....  BY :-MOHIT K SINGH