लिखना ही है काम मेरा
पहले भी में लिखता था
आज भी में लिखता हूँ
लिखना ही है काम मेरा....
लिखकर ही में सीखता हूँ....
जो भी हो बात....
लिखकर ही वयाँ में करता हूँ
में कोई शायर नहीं....बस अपनी बातों को धुन बना लेता हूँ
सीखना है काम मेरा.... लिखकर ही में सीखता हूँ
मुझसे नहीं होते ये दिखावे वाले चोचले...
जो भी थे बिचार मेरे.. मैने सबके सामने खोल दिये....
लोग कहते है हम राज़दार है
और एक हम है जो खुली किताब बनके बैठे है
कुछ लोग.. लोगों को समझ नहीं पाते...
खुद गलत होते है और दुनिया को गलत ठहराते है
लोगों का कुछ कहना जरुरी नहीं...पर सही कहना जरुरी है
दुनिया को सही करने से पहले...खुद को सही करना जरुरी है
में सही नहीं हूँ पुरी तरह..... इसलिए में लिखता हूँ
और लिखकर ही में सीखता हूँ......
लिखना मेरी आदत है....कभी-कभी मुझसे गलतियाँ भी होती है
और उन्ही गलतियों से में सीखता हूँ
लिखना ही है काम मेरा....
लिखकर ही में सीखता हूँ....
BY:-MOHIT K SINGH
Superb poem...👌👌👌
ReplyDeleteकुछ लोग.. लोगों को समझ नहीं पाते...
ReplyDeleteखुद गलत होते है और दुनिया को गलत ठहराते है ..... Great lines..bro..dil chhu gyi ye lines
❤❤
DeleteBdiya bhai..
ReplyDeleteDhanyabaad bhai
DeleteNice bhai
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