पाप

मुजे जब लगता है लोग बदल रहे है तो मैं खुद छोड़ दिया करता हूं .....
कही अच्छे के चक्कर मे बुरा न हो जाउ इसलिए अच्छाई कम किया करता हूं.....
जीवन एक खेल है इसे जीत न जाऊं इसलिए हारकर आगे बढ़ चला चलता हूं.....
मुश्किलों से टकराकर चोट तो दिल को लगती है .... जिस्म तो सम्हल जाया करता है.....
कहीं मुस्किलो से हार न जाऊ… .इलिये मुस्किलो के सामने मुसकुराकर आगे बड़ चला चलता हूं …।
दिल मे ज़ख्म कितने हैं कहीं किसी को पता न चल जाए....
इसीलिए होठों पर एक मुस्कुराहट हमेशा लिऐ फिरता हूं...
कमी सबके अंदर होती है .... कहीं कमी कमज़ोरी न बन जाए.... इसलिए उसे तागत बनाने की कोशिश हर वक़्त 
किया करता हूं.....
सुना है अच्छे लोगों को खुदा अपने पास जल्दी बुला लेता है.... इसीलिए आज भी शायद मैं पाप किया करता हूं ......☠️☠️


BY:-MOHIT K SINGH

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