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काश

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अगर शराब भी वफादार होती तो क्या बात होती ना दिल किसी का टूटता ना मोहोब्बत बदनाम यू होती साथ उसका होता और हसीं ये रात होती नशा दिमाग का ना होकर..दिल का होता तो क्या बात होती फिर नशा शराब का.... शायद कुछ कम होता फिर बेवफ़ा न दुनिया ज़िज्मों को कहता तो क्या बात होती हवस ज़िज्म की ना होती तो क्या बात होती काश शराब भी वफादार होती तो क्या बात होती ना दिल किसी का टूटता ना म मोहोब्बत बदनाम यू होती काश शराब भी वफ़ादार होती तो क्या बात होती ज़िन्दगी हँसी के साथ गुज़र जाती ना गम का साया इसे छू पाता तो क्या बात होती और शायद ना फ़िर कोई तन्हाई मे यू किसी की यादों मे रोता  काश शराब भी वफादार होती तो क्या बात होती ना दिल किसी का टूटता ना यू मोहोब्बत बदनाम होती BY:-MOHIT K SINGH

कुछ अधूरे शब्द

बातों से तो तुम्हारी भी कुछ ज़ाहिर सा है कुछ तो है दिल मे ...जो जुवां पर चुप सा है या मुझे ही कुछ कम समझ आया है या फिर शायद तुमने अपने भी शब्दो मे व्याज लगाया है तुमने भी शायद शब्दो मे जाल बुनना अपने सीख लिया है शायद लोगों को शब्दो मे जकड़ना तुमने भी सीख लिया है ऐसे ही शायद तुमने अपने शब्दों मे व्याज लगाया है मुझसे अब बहुत कम बातें होती है और जो होती है बस मतलब की होती है दिल की बातें  अब शायदऔर कहीं वयां होती है  या शायद मेरे लिए ही तो ये व्याज नहीं?? बातों मे अब बस मतलब नज़र सा आता है क्या ये भी उसी व्याज का एक हिस्सा है?? क्या ये व्याज सच मे तुमने अपने मन से लगाया है?? खुद से ये सवाल मैं आजकल रोज करता हूं क्या मुझे भी ये हुनर सीखना चाहिए?? या फिर मैं ऐसे ही सही हूं?? BY:-MOHIT K SINGH

पाप

मुजे जब लगता है लोग बदल रहे है तो मैं खुद छोड़ दिया करता हूं ..... कही अच्छे के चक्कर मे बुरा न हो जाउ इसलिए अच्छाई कम किया करता हूं..... जीवन एक खेल है इसे जीत न जाऊं इसलिए हारकर आगे बढ़ चला चलता हूं..... मुश्किलों से टकराकर चोट तो दिल को लगती है .... जिस्म तो सम्हल जाया करता है..... कहीं मुस्किलो से हार न जाऊ… .इलिये मुस्किलो के सामने मुसकुराकर आगे बड़ चला चलता हूं …। दिल मे ज़ख्म कितने हैं कहीं किसी को पता न चल जाए.... इसीलिए होठों पर एक मुस्कुराहट हमेशा लिऐ फिरता हूं... कमी सबके अंदर होती है .... कहीं कमी कमज़ोरी न बन जाए.... इसलिए उसे तागत बनाने की कोशिश हर वक़्त  किया करता हूं..... सुना है अच्छे लोगों को खुदा अपने पास जल्दी बुला लेता है.... इसीलिए आज भी शायद मैं पाप किया करता हूं ......☠️☠️ BY:-MOHIT K SINGH

कुछ तो है

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कुछ तो है जो हर खामोशी कुछ ख़ास सिखा जाती है लोग रोते हैं और ज़िंदगी हसकर चली जाती है लोग ज़िंदगी को समझने के चक्कर मे जीना भूल जाते है ऐसे ही कुछ लोगों को लड़की मे सिर्फ जिस्म दिखाईं देता है कुछ नज़रों का भी कसूर है कुछ मन कि है गंदी सोच जो अपनी बहन देवी और दूसरों की माल नज़र आती है ऐसी ही कुछ बातें दिल को झंझोड़ देती है हसने की तो बात दूर..... रोने तलक (तक)ना देती है इसलिए तू समझ-ऐं- इंसां ना हर लड़की माल होती है ये तो जहां मे ईश्वर होती है जो तुझे जमीं से जन्नत तलक ले जाती है कोई मां तो कोई बहू कोई बहन बनकर दिखलाती है फिर भी वो बहुत कुछ सुनकर चुप हो जाती है ऐसे ही थोड़ी ना खामोशी कुछ खास सिखाती है पर कुछ लोग तो आज भी ऐसे है जो समझते सबकुछ है  पर कुछ न ये लोग बोलते है इसलिए "मोहित" तू चुप ना रह क्योंकि तूने कुछ बोला नहीं तो तू ग़लत होता चला जाएगा कुछ लोगों के सामने चुप रहकर तो तू सवालों से बच जाएगा पर फिर कैसे तू उस खुदा की अदालत मे खुद को बचा पाएगा BY:-MOHIT K SINGH

प्यार तो तुम रहने ही दो

🤞🤞🙏🙏 तन्हाई का मंज़र भी क्या खूब रहा है मैं रोता रहा और वो मुझे ऐसा देख हस्ता रहा है के कमी मुझमें बहुत है मुझे हमेशा से ये मंज़ूर रहा है पर तुम भी क्या हर जगह सही रही हो?? जैसे हर इंसान  खुशनसीब नहीं होता.. वैसे ही तो हर इंसान गलत भी तो नहीं होता... अपनी जगह तुम सही हो.. पर मैं अपनी जगह गलत भी तो नहीं... तुम्हारी नज़र मे मैं गलत हूं..... अब मुझे गलत ही रहने दो... तुम कहते हो तुमसे मैं प्यार नहीं करता...... तुम यहीं सोचती हो तो सोचती रहो... मैं प्यार कितना करता हूं मुझपे ही रहने दो..... बस अब एक ही बात बाकी है बोलनी तुमसे.... तुमसे सबकुछ  हो सकता है लेकिन अब प्यार........ तो तुम रहने ही दो......... BY:- MOHIT K SINGH

तो शायद मैं आज ऐसा ना होता

 मैंने खुद को खुद से नज़रे चुराते देखा है खुद को खुद से नाराज़ होते देखा है तन्हाई में खुद को रोते देखा है लोगों को धोखा देते देखा है और अपनों से धोखा खाकर देखा है  दूसरों को पाने कि चाह में मैंने खुद को खोकर देखा है रोया मै भी बहुत हूं तन्हाई में  भरी महफ़िल में दूसरों के सामने खुद को मुस्कुराते देखा है तन्हाई मुझे बहुत पसंद हैं ऐसा कहकर तन्हाई में खुद को रोते बहुत देखा है रोने मे सच मे बहुत मज़ा आता है खुद को खुद से मिलने क मौका मिल जाता है प्यार ऐसा ही होता तो कितना अच्छा होता ना कोई किसी को धोखा देता ना कोई किसी के लिए रोता ना कोई दुखी होता और जैसा मैं आज हूं तो शायद मैं आज ऐसा ना होता होती कुछ कमी....... पर ना बर्बाद मैं होता.... तो शायद मैं आज ऐसा ना होता होता मैं कुछ अलग पर..... ना इतना गलत ना होता...... BY:-MOHIT K SINGH

zalim-e-takleef

 Teri baton ko suna maine bhi h K teri baton ko suna maine bhi h.... Tum kehte ho roye ho tum mere liye sari raat..... Tum kehte ho roye ho tum mere liye sari raat... Kya smjha tumne zalim-e-takleef mujhko... Mujhe to teri khabar puri raat rhi h.... Or jo tu ye raatbhar rone ki baat keh rhi h... Tujhe kya pta...k kaisi meri halat ....puri raat rhi h... Tune to raat rone ki baat jhut kri h... Meri in aakhon se puch....k meri in aakhon se puch-e-zalim...kaisi vo nam puri raat rhi h... BY:-MOHIT K SINGH